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किशोरों के लिए निर्देशन और परामर्श Guidance and Counselling for Adolescents
निर्देशन एवं परामर्श का इतिहास भारत में बहुत पुराना है। भारत में निर्देशन का कार्य सन् 1938 में डॉ. जी. एस. बोस के निर्देशन में कलकत्ता विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में आरम्भ हुआ था। निर्देशन और परामर्श का अर्थ एक ही न होते हुए भी दोनों प्रक्रिया का सम्बन्ध व्यक्ति की सहायता करना है। व्यक्ति को इस योग्य बनाना निर्देशन और परामर्श का उद्देश्य होता है कि वह अपनी शक्तियों को पहचाने और उपयोग कर सके। निर्देशन और परामर्श को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने इस प्रकार परिभाषित किया है
निर्देशन की परिभाषाएँ (DEFINITIONS OF GUIDANCE)
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफिस ऑफ एजूकेशन के अनुसार– “निर्देशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति का परिचय विभिन्न उपायों से, जिनमें विशेष प्रशिक्षण भी सम्मिलित है तथा जिसके माध्यम से व्यक्ति की प्राकृतिक शक्तियों का बोध भी हो कराती है जिससे वह अधिकतम व्यक्तिगत एवं सामाजिक हित कर सकें।" "The process of acquainting the individual with the various ways including special training in which he may discover his natural endowments so that he makes a living to his own best advantages and that society." -United States Office of Education
को एवं क्रो के अनुसार "निर्देशन पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित एवं विशेषज्ञता प्राप्त पुरुषों तथा महिलाओं द्वारा किसी भी आयु भी आयु के व्यक्ति की सहायता प्रदान करना है ताकि वह अपने जीवन की क्रियाओं को व्यवस्थित कर सके, अपने निजी दृष्टिकोण को विकसित कर सके, अपने आप निर्णय ले सके और अपने जीवन का बोझ उठा सके।"
"Guidance is assistance made available by qualifical and adequtely trained men or women to an individual of any age to help manage his own activities, develop his points of view, make his own decisions and carry his own burden." -Crow and Crow
जोन्स के अनुसार "निर्देशन का तात्पर्य इंगित करना, संचित करना तथा पथ-प्रदर्शन करना है। इसका अर्थ सहायता देने से अधिक है।"
"To guide means to indicate, to point out, to show the way. It means more than assist." -Jones
चाइशोम के अनुसार "रचनात्मक उपक्रम तथा जीवन से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान की व्यक्ति में सूझ विकसित करना निर्देशन का उद्देश्य है ताकि वह जीवन भर अपनी समस्याओं का समाधान करने के योग्य बन सके।"
"Guidance aims to develop in him insight into the solution of his problems of living as well is a creative initiative, where by he will throughout life be able to meet and solve his own problems adequately." Chisoln
स्किनर के अनुसार "नवयुवकों को स्वयं अपने प्रति, दूसरे के प्रति तथा परिस्थितियों के प्रति समायोजन करने में सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया मार्गदर्शन है।"
"Guidance is a process of helping young persons learn to adjust to self to others and to circumstances. " - Skinner
एमरीस्ट्रप्स के अनुसार "व्यक्ति को स्वयं तथा समाज के उपयोग के लिए स्वयं की क्षमताओं के अधिकतम विकास के प्रयोजन ने निरन्तर दी जाने वाली सहायता ही निर्देशन है।" "Guidance is a continuous process of helping the individual to develop to the maximum of his capacity in the direction most beneficial to himself and to society." - Emerystoops
माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार "निर्देशन एक गहन कार्य है जिसका सम्बन्ध, लड़के-लड़कियों को अपनी योजनाओं, क्षमताओं तथा अपने कामकाज की दुनिया के संदर्भ में अपने भविष्य की योजना बुद्धिमानी के साथ बनाने के लिए दी जाने वाली सहायता से है।"
"Guidance involves the difficult art of helping boys and girls to plan their own future wisely in the full light of the factors that can be mastered about themselves and about the word in which they are to live and work." -Secondary Education Commission
परामर्श की परिभाषाएँ (DEFINITIONS OF COUNSELLING)
पेरज के अनुसार, "परामर्श एक अन्तक्रियात्मक प्रक्रिया है, जिसमें परामर्श प्राप्तकर्ता को सहायता की आवश्यकता होती है और परामर्शदाता सहायता देने के लिए प्रशिक्षित और शिक्षित होता है।"
"Counselling is an interactive process cojoing the counselee who need assistance and the counselor who trained and educated to give this assistance." - Perez
पेप्नस्की तथा पेप्नस्की के अनुसार, "परामर्श वह अन्तर्क्रिया है, जो परामर्शदाता और परामर्श प्राप्तकर्ता, दो व्यक्तियों के मध्य होती है। व्यावसायिक परिदृश्य में आयोजित होती है तथा परामश प्राप्तकर्ता के व्यवहार में परिवर्तन और परिवर्तन को सुसाध्य बनाए रखता है।"
"Counselling is the interaction which occurs between two individuals called counselor and clients, takes place in professional setting and is initiated and maintained to Scilitate changes in the behaviour of a client." - Pepenski and Pepenski
पैटरसन के अनुसार, "परामर्श वह प्रक्रिया है जिसमें थेरेपिस्ट तथा एक या अधिक क्लाइण्ट के मध्य अन्तर्व्यक्तिगत सम्बन्ध होता है, जिसके द्वारा पहला मनोवैज्ञानिक विधियों पर आधारित मानव व्यक्तित्व के ज्ञान से दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने का प्रयास करते हैं।"
"Counselling is the process involving interpersonal relationships between a therapist and one or more clients by which the former employs psychological methods based on the systematic knowledge of the human personality in altempting to improve the mental heatlth of the later." - Patterson
किशोरों के लिए निर्देशन और परामर्श की आवश्यकता (NEED OF GUIDANCE AND COUNSELING FOR ADOLESCENTS)
किशोरावस्था मानव जीवन के विकास की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है। किलपैट्रिक ने तो इस अवस्था को जीवन का सबसे जटिल काल माना है। यह समय बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था का संधिकाल होता है। स्टैनली हॉल ने किशोरावस्था को प्रबल दबाव तथा तूफान एवं संघर्ष का काल माना है। सभी मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का मानना है कि किशोर को अपने भविष्य के लिए निर्देशन और परामर्श की आवश्यकता होती है। आइए हम किशोरों के लिए निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता पर विचार करते हैं
1. किशोरों को अपनी अभिरुचियों, योग्यताओं तथा सीमाओं को पहचानने में मदद के लिए निर्देशन और परामर्श की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में स्थायित्व व समायोजन का अभाव होता है, आवेगों और संवेगों में बड़ी प्रबलता होती है, रुचियों में भी परिवर्तन होता है, मानसिक स्वतन्त्रता और विद्रोह की भावना पनपती है, इसलिए वे स्वयं को और अपनी योग्यताओं को पहचान नहीं पाते।
2. किशोर की मनः स्थिति अस्थिर होती है। वह कभी कुछ विचार करता है और कभी कुछ। परिणामस्वरूप वह स्वयं को वातावरण से समायोजित करने में असफल रहता है। निर्देशन और परामर्श से किशोरों को विद्यालयी वातावरण में, साथियों के साथ और परिवार के प्रौढ़ सदस्यों के साथ सामंजस्य करने में सहायता मिलती है।
3. किशोरावस्था में काम प्रवृत्ति क्रियाशील हो उठती है। इस अवस्था में लड़के कियों से सम्पर्क या सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करते हैं तथा लड़कियाँ लड़कों से बोलने, साथ घूमने या सम्पर्क करने की इच्छा रखती हैं। लड़के-लड़कियों के मध्य स्वस्थ सम्बन्ध स्थापित करने में निर्देशन और परामर्श की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
4. किशोरों के शैक्षिक पिछड़ेपन की समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय निर्देशन और परामर्श है। पिछड़े किशोरों की प्रमुख समस्याओं को जानकर उन्हें निर्देशन और परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
5. किशोर अपने परिवार और समाज तथा विद्यालय से अधिक महत्वपूर्ण अपने साथी और समूह को मानता है। साथी और समूह के अनुसार अपने व्यवहार, रुचियों, इच्छाओं आदि में परिवर्तन करता है। बिग और हण्ट के अनुसार, "जिन समूहों से किशोर का सम्बन्ध होता है, उनसे उनके लगभग सभी कार्य प्रभावित होते हैं। समूह उनकी भाषा, नैतिक मूल्यों, वस्त्र पहनने की आदतों और भोजन की विधियों को प्रभावित करते हैं।" अक्सर बहुत से किशोर अपने साथियों व समूह के दबाव में आकर जोखिम उठाने में संकोच नहीं करते, शीघ्र यौन अनुभव का प्रयास करते हैं, स्कूल से भाग कर सिनेमा देखने चले जाते हैं, हीन मनोरंजन का आनन्द लेते हैं और अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। ऐसे किशोरों के लिए निर्देशन और परामर्श अति आवश्यक है।
6. अक्सर पाया जाता है कि किशोरों की इच्छाएँ व आवश्यकताएँ असन्तुष्ट रह जाती हैं तो वे तनाव, कुंठा, मानसिक दबाव आदि का शिकार होकर अवांछित क्रियाओं में लिप्त होने लगते हैं, ऐसे विद्यार्थियों के लिए निर्देशन और परामर्श की महती आवश्यकता होती है।
7. किशोरावस्था में संवेगों की प्रबलता होती है। संवेगों में मार्गान्तीकरण, शोधन और रेचन (redirection, sublimation and catharsis) के लिए निर्देशन और परामर्श आवश्यक है।
8. किशोर अपने भावी व्यवसाय की चिन्ता करने लगता है तथा व्यवसाय आकांक्षा के अनुसार ही पाठ्यक्रम का चुनाव करता है। व्यावसायिक निर्देशन-परामर्श से किशोर भविष्य में अपनाए जाने वाले व्यवसाय की प्रकृति और विशेषताओं को समझ सकता है, और उसी के अनुरूप विषयों का चयन कर सकता है।
9. किशोरों की अन्य व्यक्तियों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम करने तथा निर्णय शक्ति के विकास के लिए व्यक्तिगत निर्देशन और परामर्श की सहायता ली जा सकती है।
10. अधिगम प्रक्रिया में उत्साह, प्रेरणा और रुचि का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यदि किसी कारण से किशोरों में उत्साह कम हो जाता है या प्रेरणा प्रबल नहीं रहती, तो अधिगम रुक जाता है और अधिगम में पठार आ जाता है। सीखने में पठार को रोकने के लिए निर्देशन व परामर्श की सहायता ली जा सकती है।
किशोरों के लिए निर्देशन और परामर्श के क्षेत्र (FIELDS OF GUIDANCE AND COUNSELLING FOR ADOLESCENTS)
किशोरों को निम्न क्षेत्रों में निर्देशन और परामर्श की आवश्यकता होती है:-
1. शैक्षिक (Educational)
2. व्यावसायिक (Vocational)
3. मनोरंजन सम्बन्धी (Related to Entertainment)
4. स्वास्थ्य सम्बन्धी (Related to Health)
5. व्यक्तिगत कार्य में (in Personal Work)
6. विचारपूर्ण होने तथा सहयोग में (for being thoughtful and cooperative)
7. सामाजिक तथा नागरिक गतिविधियों में (in Social and Citizenship activities)
8. अवकाश के समय के लिए (for Leisure time)
किशोरों हेतु निर्देशन और परामर्श की विधि (PROCEDURE OF GUIDANCE AND COUNSELING FOR ADOLESCENTS)
किशोरों को निर्देशन और परामर्श दो स्थितियों में दी जा सकती हैं:-
I. वैयक्तिक (Individual)- वैयक्तिक कार्यक्रम में एक किशोर से वैयक्तिक रूप में सम्पर्क किया जाता है। उसकी भावात्मक, जिक, शारीरिक, बौद्धिक तथा व्यक्तिगत समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
II. सामूहिक (Group) - किशोरों के एक समूह विशेष को सेवाएँ दी जाती हैं। किशोरों को निर्देशन-परामर्श देने के लिए निम्न सोपानों का पालन करना पड़ता है
1. अभिमुख वार्ताएँ (Orientation talks)-निर्देशन और परामर्श देने से पूर्व किशोरों में निर्देशन और परामर्श हेतु उत्सुकता जगाना आवश्यक है। अतः सर्वप्रथम विशेषज्ञों या स्रोत व्यक्तियों से वार्ता आयोजित कर किशोरों को निर्देशन-परामर्श के उद्देश्यों से अवगत कराना चाहिए। इससे किशोर निर्देशन और परामर्श ग्रहण करने के लिए तैयार हो सकेंगे।
2. साक्षात्कार (Interview)- अभिमुख वार्ताएँ सामूहिक रूप से आयोजित की जाती हैं। विद्यार्थियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि उनकी शैक्षिक सोच तथा अन्य आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी से व्यक्तिगत रूप से प्राथमिक साक्षात्कार करना चाहिए।
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