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Teaching Aptitude Notes in Hindi 05


साक्षरता (Literacy)

प्राचीन काल से ही मानव जीवन के उत्तरोत्तर विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वर्ष 1991 की जनगणना के अनुसार भारत में साक्षरता की दर 52.21 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना में बढ़कर 73.0 प्रतिशत हो गई है, जबकि 1951 में साक्षरता प्रतिशत 18.33 थी।

शिक्षा के महत्व को देखते हुए 1935 ई. में शिक्षा संबंधी केंद्रीय परामर्श बोर्ड गठित किया गया। था। स्वतंत्रता के बाद 1986 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में ही कार्य योजना तथा 1992 ई. में संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई। यद्यपि स्वतंत्रता के पश्चात् इस दिशा में व्यापक कार्यक्रम चलाए गए हैं। फिर भी यहाँ विकसित देशों की तुलना में साक्षरता अनुपात कम है।

वर्ष 1976 से पहले शिक्षा पूरी तरह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में थी। केंद्र सरकार की भूमिका तकनीकी और उच्च शिक्षा आदि के क्षेत्र में समन्वय तथा मानकों के निर्धारण तक सीमित थी। 1976 में किए गए संविधान संशोधन के बाद शिक्षा को समवर्ती सूची में डाल दिया गया तो शिक्षा केंद्र और राज्यों की साझा जिम्मेदारी बन गई है। शिक्षा प्रणाली और उसके ढाँचे के बारे में फैसले आमतौर पर राज्य हो करते हैं, लेकिन शिक्षा के स्वरूप और गुणवत्ता के निर्धारण का दायित्व स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार का ही विषय है। 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 21A जोड़ा गया। यह अनुच्छेद 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावाधान करता है। सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पूरे देश में 1 अप्रैल, 2010 से लागू हुआ।

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम-1986 के नई शिक्षा नीति और 1992 में उसमें किए गए संशोधन तथा इसकी कार्य योजना के अनुरूप सबको प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 'जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम' नाम की एक नई पहल की गई। यह कार्यक्रम सात राज्यों के 42 जिलों में 1994 में लागू किया गया। ये राज्य थे-मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल अब पाँच अन्य राज्यों-गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 22 जिलों तथा पहले ही इसके अंतर्गत लाए जा चुके 60 अन्य जिलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।

व्यावसायिक शिक्षा-1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संशोधन करके 1995 तक 10+2 स्तर के 10 प्रतिशत विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया।

छह प्रमुख क्षेत्रों में करीब 150 व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। ये क्षेत्र-कृषि, व्यापार, वाणिज्य, इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और औषधि, गृह विज्ञान और मानविकी तथा अन्य हैं। 60 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को प्रशिक्षु अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किया है।

केंद्रीय विद्यालय- केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की योजना भारत सरकार द्वारा 1962 में मंजूर की गई थी। 1963 में शिक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय द्वारा | चलाए जा रहे 20 रेजीमेंटल स्कूलों को अपने नियंत्रण में ले लिया और उन्हें केंद्रीय विद्यालयों में परिवर्तित कर इस योजना को लागू किया। बाद में शिक्षा मंत्रालय ने एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में केंद्रीय विद्यालय स्थापित किया। वर्तमान में केंद्रीय विद्यालयों की संख्या 1230 है।

राष्ट्रीय खुला विद्यालय- राष्ट्रीय खुला विद्यालय की स्थापना स्वायत्त संगठन के रूप में नवम्बर 1989 में की गई थी। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को माध्यमिक स्तर की उत्तम किस्म की शिक्षा उपलब्ध कराना है, जो स्कूल छोड़ देने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए हैं या जो औपचारिक स्कूलों में दाखिला नहीं ले सकते हैं। इसके द्वारा दिए गए प्रमाण पत्रों को उच्च शिक्षा में दाखिला लेने के लिए मान्यता मिली हुई है। यह केंद्र की मान्यता प्राप्त संस्थाएँ और मान्यता प्राप्त व्यावसायिक संस्थाएँ श्रेणी में विभाजित हैं।

नवोदय विद्यालय- भारत सरकार ने 1985-86 में प्रत्येक जिले में औसतन एक नवोदय विद्यालय स्थापित करने का एक कार्यक्रम शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को अच्छे स्तर की आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराना है।

विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा- विश्वविद्यालय शिक्षा के संवर्धन, समन्वय और उच्च शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना 28 दिसम्बर, 1953 को हुई। 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा इसे एक स्वायत्तशासी वैधानिक निकाय बना दिया गया। आयोग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान देने के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों को उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह देता है। • वर्तमान में 1 नवम्बर, 2019 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार देश में विश्वविद्यालयों की संख्या इस प्रकार है

                    1.केंद्रीय विश्वविद्यालय -  50

                    2. डीम्ड विश्वविद्यालय -  126

                    3. राज्य विश्वविद्यालय -   404

                    4. निजी विश्वविद्यालय -   340

                                                कुल  920 


इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय-सितम्बर 1985 में संसद के एक अधिनियम के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य देश की शिक्षा प्रणाली में दूरस्थ शिक्षा पद्धति और मुक्त विश्वविद्यालय को प्रारंभ कर उसे बढ़ावा देना तथा ऐसी पद्धतियों में समन्वय कर उसका उच्च स्तर निर्धारित करना था। 

दूरदर्शन ने मई 1991 से इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों का प्रसारण प्रारंभ किया। 1992 के प्रारंभ में आकाशवाणी के मुंबई और हैदराबाद केंद्रों ने विश्वविद्यालय के चुने हुए श्रव्य कार्यक्रमों का प्रसारण करना प्रारंभ किया। इस समय भारत में छह अन्य मुक्त विश्वविद्यालय भी चल रहे हैं। आन्ध्र प्रदेश (हैदराबाद) में बी.आर. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बिहार में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय, राजस्थान में कोटा मुक्त विश्वविद्यालय, नासिक (महाराष्ट्र) में यशवंत राव चौहाण महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय तथा अहमदाबाद (गुजरात) में अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय हैं।


भारत में साक्षरता की स्थिति ( कुल जनसंख्या में)
जनगणना वर्ष साक्षरता दर (% में)
1951 18.33
1961 28.3
1971 34.45
1981 43.57
1991 52.21
2001 64.84
2011 73.0

नोट: 2011 की जनगणना में साक्षरता दर 7+ आयु वाली जनसंख्या पर आधारित है।

    2011 की जनगणना के फाइनल आंकड़ों (30 अप्रैल, 2013 को जारी किए गए) के अनुसार 2011 | में साक्षरता दर में 8.2% की बढ़ोत्तरी के साथ 73.0 प्रतिशत (7 वर्ष और उससे अधिक आयु) हो गई, जबकि 2001 में 64.8 प्रतिशत थी। हालांकि 2011 के प्रोविजनल आंकड़ों में साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत बतलाया गया था। जनगणना 2011 के फाइनल आंकड़ों के अनुसार देश में पुरुष साक्षरता दर 80.9 प्रतिशत और महिलाओं की 64.6 प्रतिशत है। राज्यों में। केरल 94 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ पहले स्थान पर है। केरल में पुरुष साक्षरता 96.1 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 92.1 प्रतिशत है।

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